Thursday, December 6, 2018

विपत्ति मे यार ,,, मैथिली गीति संग्रह बदलैत परिवेश...मैथिली कविता संग्रह ... Poems in Maithili ,,, विपत्ति मे यार

विपत्ति मे यार

दाहिन सँ हेतौ  कर्म बाम  जहने
सुख सयल अलोपित हेतौ  तहने
स्वार्थे वस सटल  रहतौ  दियाद
दुःख मे ओ उल्टे जोरतौ फसाद

नहि अकर मानव देखि कऽ अटारी
समय बनादैत छै ककरो  भिखारी
राजा  हरिश्चन्द्र  सन  महाज्ञानी
समय संग बिका  गेलै तीनु प्राणी

ई  जीवन  सृष्टि  के  अनुपम  फूल
समय संग चल, कर नहि  कोनो भूल
सम्पत्ति  के  श्रृंगार  विपत्ति  मे यार
खोज निक मित्र बात पर कऽ विचार


मैथिली गीति संग्रह बदलैत परिवेश / मैथिली कविता संग्रह / Poems in Maithili / Tirhuta Script

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