Monday, September 17, 2018

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हेयौ पंडित जी

हेयौ पंडित जी कनिक हमरो पर करियौ अहाँ  विचार
पतरा मे निक जतरा गुणि कऽ बसादिय नीक  संसार

हमरे वियाह मे किया यौ पंडित अवै छै एतेक अर्चन
घर सँ घुमि जाइए  घरदेखी  खा–खा कऽ तीन पर्सन
हमरा पर जँ ग्रह गोचरि होए त जल्दी करु निपटार

अहाँ एकबेर बाबुजी लग जाकऽ निक सँ करियौ ने चर्चा
कहियौन फरिछाकऽ हुनका जोड़ मे सक्षम छी  हम खर्चा
किया वियाह मे लगाक लेकिन बनेने छथि राइक  पहाड़

हमरा सँ छोट मारैय पिक्की सुना कऽ अपन विवाहक बात
मोन भजाइया खिन्न  तहने भजाइ छी हम असगर कात
कहिया हमहु सासुर जाकऽ खेवै छप्पन व्यञ्जन  परिकार 


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