गेलहुँ अरब सजना
गेलहुँ अहाँ अरब सजना मोन भेल उदास यौ
सुखक सपना उड़ाकऽ लगेल पछिया बसात यौ
मालिक के कर्जा एहि बेर परल बरका भारी
ब्याजे मे चलिगेल सजना बाँचल दू धूर घरारी
आब कोना काटब जिनगी भेल उट्ठा बास यौ
हाल खबरि नहि कोनो करी नहि फोन–फान
करेजा मे भेदे सजना दुःखक अगिन बान
अहाँ के भरोस बिनु लागे सुन्न आकाश यौ
भेटत नहि जीवनक उदेश रहि परदेश मे
जल्दी सँ आबि जाउ सजना आब अपन देश मे
रहब कमाएब संगे छिटब नव प्रकाश यौ
Maithili Literature : Maithili Alphabet / Mithilakshar / Tirhuta / Kavita / Geet
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