Saturday, May 19, 2018

Maithili Kavita...मैथिली कविता...Badlait Pariwesh...बदलैत परिवेश

फागुन के रंग

लागल  गोरी के चुनरी मे फागुन  के रंग
ठोर   गुलाबी  ओकर  खिलल  अंग–अंग

खन–खन चुरी खनका कऽ फगुआ के गीत गावे
छम–छम पायल   छमका कऽ  सभ   के  नचावे
पातर     डाँर     लचकावे    त     बाजे      मृदंग

शराबी नयना नचा कऽ   मधुर  रस  छिलकावे
हवा मे चुनरी उड़ा कऽ दिल धक–धक धरकावे
लागे   गजब   ओकर   अबीर  उड़ाबऽ  के  ढ़ंग

गोरी खेले मस्ती मे होरी चलावे  पिचकारी
तन पर शोभे ओकरा भीजल रेशम के सारी
देखू  मस्त  यौवन मे होरी के नवीन  उमंग

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