लिखिकऽ हमर ओ नाम दिल सँ मिटा देलक
सभटा छल ओकरे खेल खाक मे मिला देलक
बचपन के हमर ओ प्रीत भगेल छल सियान
लाल फूल गुलाब मे हँसैत छलीह वनि ओ चान
बसन्त मे दिल के दूरी पतझर बना देलक
दिल मे दिल के बसेरा सुन्दर ओ परी मे रानी
कहैत छल हमर प्रीत गंगा के निर्मल पानि
कोना ईन्द्र धनुष बनि ओ लाली चोरा लेलक
ओकरे सजाकऽ नयन मे करैत छलहुँ दुलार
ई केहन मजबुरी जे बदलल ओकर विचार
चुपचाप महल मे बैसल जीवन नैया डुबा देलक
Binit Thakur, Mithilakshar,
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