चर्चा पूरे गाम मे
कहीँ भऽ नहि जाइ सजना अहाँक प्रीत मे पागल
सगर राति हम रहैत छी अहिँ के याद मे जागल
छायल अछि दिल–दिमाग मे अद्भुत प्रेमक रंग
बुनैत मिठगर सपना झूमि सदिखन अहीँक संग
लगाकऽ अहीँ नामक मेंहदी बैसल छी हाथ मे
आविकऽ सजादिय ने सेनुर अहाँ हमर माथ मे
होइते अपन प्रीतक चर्चा पूरे गाम–घर मे
देखियौ भेलहुँ कोना बदनाम सभ के नजरि मे
आब अहीँ पर टिकल अछि जीवनक हमर आश
भरि दिय हमर जीवन मे फूलक नवीन सुवास
मैथिली साहित्य / Maithili Sahitya / विनीत ठाकुर / Maithili letters / Mithilakshar / Maithili letters
No comments:
Post a Comment