Thursday, December 6, 2018

विपत्ति मे यार ,,, मैथिली गीति संग्रह बदलैत परिवेश...मैथिली कविता संग्रह ... Poems in Maithili ,,, विपत्ति मे यार

विपत्ति मे यार

दाहिन सँ हेतौ  कर्म बाम  जहने
सुख सयल अलोपित हेतौ  तहने
स्वार्थे वस सटल  रहतौ  दियाद
दुःख मे ओ उल्टे जोरतौ फसाद

नहि अकर मानव देखि कऽ अटारी
समय बनादैत छै ककरो  भिखारी
राजा  हरिश्चन्द्र  सन  महाज्ञानी
समय संग बिका  गेलै तीनु प्राणी

ई  जीवन  सृष्टि  के  अनुपम  फूल
समय संग चल, कर नहि  कोनो भूल
सम्पत्ति  के  श्रृंगार  विपत्ति  मे यार
खोज निक मित्र बात पर कऽ विचार


मैथिली गीति संग्रह बदलैत परिवेश / मैथिली कविता संग्रह / Poems in Maithili / Tirhuta Script

Saturday, December 1, 2018

डेग–डेग पर हेराफेरी ( मैथिली व्यंग्य गीत / मैथिली कविता )

डेग–डेग पर हेराफेरी

बाउ हो बाउ हम कोन्नी  जाउ
एन्नी  जाउ  कि ओन्नी  जाउ
हौ    डेग–डेग    पर   हेराफेरी
भोकना  मारे  कनफेरी   दाउ

बिनु फगुवा के गाम मे होरी
दिन   दहारे   घर   मे   चोरी
पञ्चैती के इमान  बिकागेल
अवला  के  संग  सीनाजोरी

कर्म कुटे विदेश  मे  मर्दावा
मौगी  असगर फाँके  लावा
बिगड़ल घर  हाथ  लुकाठी
काने  बेचारा   बूढ़ा   बाबा

मंगला  लुढ़कल पिबि कऽ दारु
सोचे जिनगी  मोहर  कि भारु
आजु  क्रोध सँ मातल  मंगली
खोजे सगरो लेने हाथ मे झारु 


Maithili Geet / Kavita in Tirhuta / Mithilakshar Script / मैथिली व्यंग्य गीत / मैथिली कविता

Thursday, November 29, 2018

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान || Mithilakshar Sakshartaa Abhiyaan

घरक बहुरिया

जहिया सँ टेलिभिजन  मे  जुडि़गेल  डिस्क
रिमोट के बल पर देखू संस्कृति मे रिमिक्स

किचेन मे सिट्टी बाजे कूकर  मे  पाके  खाना
घरक बहुरिया टी.भी. मे देखे  अंग्रेजी  गाना
कनिके कालमे तैयार  भेल  पसिन्नक  डिस

कॉलेज नहि जाएत दैया बैसल फुला कऽ गाल
कि भेल बौआ  डेडी  कहे  केश के  रंगैत  लाल
माय घर बहारैत बजलीह किन दियौ  टू–पिस

टी.भी. देखि कऽ  बाबा  बाजल केहन भेल जवाना
सेटेलाइट मे  दौड़े  दुनिया बनि  कऽ पागल खाना
उमेर चालिस मे बाट पर मैडम बनल आब  मिस

Mithilakshar sakshartaa abhiyaan / Maithili font / Maithili lipi / मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान

Monday, September 17, 2018

मिथिलाक्षर | तिरहुता | मिथिलाक्षर लिपि | तिरहुता लिपि | मैथिली लिपि | विनीत ठाकुर

चुलबुलिया

हमर भैया के सारि बड़  चुलबुलिया
ओे पल–पल मे बदले अपन हुलिया

नापे एहि घर ओहि घर डेगे सँ अंगना
खूब  चूरी  खनकाबे   बजावे   कंगना
दुनु  ठोर बीचका कऽ  देखावे ललिया

हवा मे   उड़ावे   छोट  बॉवकट   केश
लागे खुब दामी देखऽ मे ओकर  भेष
पुछे घुमल छी कहियो प्रेमक गलिया

बात–बात मे चलावे ओ नयना सँ वाण
अपने  नहि  सम्भरब  त  छुटत परान
बनत ओ सुनरकी  कि  हमर  जुलिया


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हेयौ पंडित जी

हेयौ पंडित जी कनिक हमरो पर करियौ अहाँ  विचार
पतरा मे निक जतरा गुणि कऽ बसादिय नीक  संसार

हमरे वियाह मे किया यौ पंडित अवै छै एतेक अर्चन
घर सँ घुमि जाइए  घरदेखी  खा–खा कऽ तीन पर्सन
हमरा पर जँ ग्रह गोचरि होए त जल्दी करु निपटार

अहाँ एकबेर बाबुजी लग जाकऽ निक सँ करियौ ने चर्चा
कहियौन फरिछाकऽ हुनका जोड़ मे सक्षम छी  हम खर्चा
किया वियाह मे लगाक लेकिन बनेने छथि राइक  पहाड़

हमरा सँ छोट मारैय पिक्की सुना कऽ अपन विवाहक बात
मोन भजाइया खिन्न  तहने भजाइ छी हम असगर कात
कहिया हमहु सासुर जाकऽ खेवै छप्पन व्यञ्जन  परिकार 


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Sunday, September 16, 2018

Mithilakshar | Tirhuta | Maithili Kavita | Maithili Geet | मैथिली कविता | गीत | मिथिलाक्षर | तिरहुता

मधुर वसन्त

उठु  उठु  उठु  प्रियतम   भेलै   भोर
मधुर वसन्त  मुस्कि  मारे  चहु   ओर

प्रकृतिक आँचर मे भेटै जेना हीरा–मोती
तहिना  सिनेह अहाँ के जीवनक ज्योति
शंख आ घण्टी  बजवैत  छथिन पुजारी
मन्दिर  मे  पूजा करैत छथिन नर–नारी

मन्द  मुस्कान  छोड़ैत  सिहके  वसात
कहैय  गुलाब  सजनी आउ  लग पास
नवीन  प्रभातक    नवीन   किरणियाँ
नव उर्जा लऽकऽ हँसैत आयल  दुनियाँ


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Monday, August 20, 2018

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लाल परी

सुन गे लाल परी हेगै  हमर   लाल   परी
दिल करे तोरा हम देखैत  रही  हर  घड़ी
छत सँ निहारी जखन देखि तोरा अंगना
बड़ निक लगौ तन पर लाजक ई गहना

माथक बिन्दिया जेना चन्दा के  कुमकुम
प्रेमक इसारा सँ होइत छे किया  गुमसुम
छुवौ  नै   हावा  तोहर  कोमल   वदन  के
छी हम  माली चंचल सुन्दर  उपवन  के

खन–खन चूरी मे  दू  दिल  के  सरगम
आवि कऽ सुनाजो तों पायल के छम–छम
झंकार मे  बदलब  दू  दिलक   तार  के
अमर  वनाएब  अछि  अपन  प्यार  के 



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